देश भर में पर्यावरण के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से 26 वर्षीय युवा शुभम 3,300 किलोमीटर पैदल पूर्ण कर बेलगाम पहुंचे। वह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ के रहने वाले हैं, जिन्होंने 5 नवंबर 2018 को कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपने इस सोलो वॉकिंग अभियान की शुरुआत की थी। शुभम बचपन से ही पर्यावरण के मुद्दों पर हमेशा संवेदनशील रहे हैं।
उन्होंने अपनी साइकिल पर एक साल पहले हिमालय में लगभग 6000 किमी की दौड़ लगाई है। उनकी यात्रा अरुणाचल प्रदेश के सबसे पूर्वी गांव वाकरो से शुरू हुई और श्रीनगर में समाप्त हुई थी। बीच में, उन्होंने भारत, भूटान और नेपाल में 7 राज्यों में साइकिल चलाई, जिसे पूरा करने में उन्हें 105 दिन लगे।
शुभम ने कहा कि प्लास्टिक का उपयोग पर्यावरण के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है। उन्होंने कहा कि पूरे रास्ते में पैदल यात्रा के दौरान वे नए लोगों से मिलते और प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने के लिए उनको मनाते थे। उन्होंने कहा कि यात्रा में उनसे मिलने वाले अधिकांश लोग मिलनसार थे। वह दूरदराज के इलाकों से गुजरे और यहां तक कि दौरे के दौरान आदिवासी समुदाय के लोगों से भी मिले।
पूरी यात्रा के दौरान शुभम ढाबों में जाते और भोजन करते लेकिन वह प्लास्टिक की बोतलों में भरे मिनरल वाटर को पीना पसंद नहीं करते हैं। शुभम ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति प्लास्टिक से भरे खाद्य पदार्थों का उपयोग करना बंद कर देता है, तो उसे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं कम होंगी। उन्होंने कहा कि सुदूर इलाकों के ग्रामीण जो प्लास्टिक के संपर्क में कम हैं, उन्हें ज्यादा स्वास्थ्य समस्याएं नहीं हैं। उनके अभियान का 130 वां दिन है और पर्यावरण के प्रति जागरूकता और न्यूनतम जीवन के लिए सिर्फ दो कपड़ों के साथ मेरा अभियान जारी है।