महाराष्ट्र के गृह मंत्री दीपक केसरकर ने कहा है कि बेलगाम में होने वाले शीतकालीन सत्र के दौरान कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे मराठी समर्थक लोगों को ‘महामेलावा’ करने के लिए अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद पर ऐसा बयान देकर एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। दीपक केसरकर ने कहा कि ‘महामेलावा’ का आयोजन उनका लोकतांत्रिक अधिकार है।
केसरकर ने बेलगाम के सर्किट हाउस में एक निजी समारोह में भाग लेने के दौरान संवाददाताओं से बात करते हुए कहा कि महाराष्ट्र और कर्नाटक के सीमावर्ती क्षेत्र में मराठी भाषी लोग लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। बेलगाम में मराठी बोलने वालों की काफी आबादी है।
केसरकर ने कहा कि कर्नाटक सरकार को सीमावर्ती क्षेत्र में मराठी भाषियों की भावनाओं को समझना चाहिए और उन्हें अधिकार प्रदान करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों को महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) की मांगों का जवाब देना होगा।
महाजन रिपोर्ट के मुताबिक, मराठी भाषी कुछ गांवों को महाराष्ट्र में शामिल करने की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा, अब सुप्रीम कोर्ट सीमा मुद्दे पर सुनवाई कर रहा है और उन्हें उम्मीद है कि अदालत महाराष्ट्र के पक्ष में फैसला लेगा।
केसरकर ने कहा कि सरकार को कन्नड़ भाषा के साथ मराठी भाषा के बोर्ड भी लगाना चाहिए जहां मराठी भाषी लोग रह रहे हैं। स्थानीय निवासियों को सीमा मुद्दे के कारण पीड़ित नहीं किया जाना चाहिए।