Thursday, November 28, 2024

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कार्य और समाजसेवा से राजनीती पहचान बनाने वाले नेता शंकरगौडा

 belgaum

जन्म भले ही कर्नाटक के बीजापुर जिले के अग्रखेड नामक गाव में हुआ हो लेकिन बेलगाम को अपनी कर्म भूमि समझकर कार्य करने वाले शंकर गौड़ा पाटिलने समाज सेवा और राजनीति से अपनी अलग पहचान बनाई है। |तीन बार विधान सभा चुनाव में असफलता के बावजूद राजनीति का कोई भी बड़ा पद नहीं रहते हुए भी उन्होंने केवल अपने कार्य से माता पिता का समाज सेवा का कार्य आगे बढाया है|
बेलगाम में सन 2009 में उनके ही नाम से शुरू की गई शंकर गौड़ा पाटिल समाजसेवा प्रतिष्ठान इस संस्था ने बेलगाम बेहतरीन कार्य किया है। अब तक सेकडों छात्रों को शिक्षा के लिए छात्र वृति प्रदान की है। सबसे बखास बात यह है कि शहर एवं आस पास के इलाके में 60 हजार से भी ज्यादा मजदूरों को मजदुर कार्ड बनवाकर दिया है। जिससे उनको लाखों रुपये की मदद मिली है|। आश्रय अणि आंबेडकर आवास योजना में रहनेवाले लोगों को घर के हक्क पात्र दिलाने में भी शंकर गौड़ा पाटिल समाज सेवा प्रतिष्ठान का अहम् योगदान रहा है|। नारी सशक्तिकरन के लिहाज से सैकडों महिलाओं को रोजगार देते हुवे सिलाई मशीन तथा अन्य सामग्री का भी वितरण किया है|

Shankar gowdaशिक्षा को दिया बढ़ावा

कर्नाटक में इंग्लिश माध्यम शिक्षण के चक्कर में मातृ भाषा में छात्र कम हो रहे है इसलिए उन्होंने शहर का कन्नड़ मीडियम स्कूल ही गोद लिया है। शहर के भाग्य नगर इलाके का 32 नम्बर प्राईमरी कन्नड़ स्कूल प्रतिष्ठान ने एक कोठी स्वयं के खर्चे से बनवा के दी है, जि। ।का आज उनके जन्म दिन के मौके पर आज उद्घाटन होना है|

ऐसे गया बचपन

22 जुलाई 1956 में वीजापुर जिले के अग्र खेड के पाटिल कुल में पैदा होने के बाद शंकर गौड़ा ने अपने गाव में प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा हासिल की। कॉलेज शिक्षा के बाद मुंबई में उन्होंने एलएलबी शिक्षा की। लेकिन पारिवारिक समस्या की वजह से वह पूरी नहीं कर सके और फिर गांव लौट आये। उनके दादा स्वतंत्रता सेनानी थे जबकि पिताजी स्थानीय बैंक के अध्यक्ष थे। इस लिहाज से बचपन से ही राजनीति उनके नस नस में थी। माता पिता के निधन के बाद उन्होंने गांव से बाहर जाने का फैसला लिया और उन्होंने कन्या कुमारी जाकर धार्मिक और अध्यात्मिक ज्ञान हासिल हासिल किया। 1980 में मंगलुरु जाकर संघ का प्रचार किया। जिसके बाद 1984 में वह बेलगाम पहुंचे और कुलकर्णी गली में पहली बार इलेक्ट्रिक दुकान डाली। सफलता के बाद उन्होंने पाइप कारखाना व पेट्रोल पंप डाला और वे राजनीति में सक्रिय हुए।कदम रखा।

Bsy shankar gowdaबेलगाम में भाजपा को मजबूती में अहम् योगदान
गत विधान सभा चुनाव में भाजपा को एक सीट हात नहीं लगी थी लेकिन इस बार भाजपा महा नगर के चुनावी प्रभारी के तौर पर उन्होंने अपना बेहतरीन योगदान दिया, जिससे दोनों भाजपा के विधायक बने हैं। 1992 में पहली बार उनको राज्य भाजपा कार्यकारिणी में शामिल किया गया। 1994 में भाजपा ने राज्य में पहली बार सभी सीटों पर विधान सभा चुनाव लडा, तब उत्तर कर्नाटक में कई सीटों जिम्मेदारी शंकर गौड़ा को दी गई। उन्होंने बेलगाम से पहली बार चुनाव लड़ा, जिसके बाद भाजपा की जड़ें बेलगाम में मजबूत होती गयी। जिसमें पाटिल का अहम् योगदान रहा है| उन्होंने 1999 ,2004,2009 में भाजपा की तरफ से बेलगाम चुनाव लड़ा लेकिन कम वोटों के फासले से जीत से दूर रहे। पाटिल संगठन मेंसक्रिय है और पार्टी के लिए काम कर रहे हैं।SHankar gowda

येडडयुरप्पा के नजदीकियां

पहले से शंकर गौड़ा पाटिल पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येडडयुरपा के नजदीकी माने जाते हैं। 2009 में विधान सभा चुनाव हारने के बाद भी अपने संगठन व पार्टी में काम तथा येड्डीयुरप्पा की नजदीकियों ओ देखते हुए उनको वन विभाग औद्योगिक निगम का अध्यक्ष बनाया गया था| जनता दल और भाजपा सरकार के कार्यकाल में बेलगाम के नगर विकास प्राधिकार के अध्यक्ष रहे चुके है। जिसमें उन्होंने कई कार्यों को अंजाम दिया है। 2010 में जब येडियूरप्पा ने भाजपा को अलविदा कर केजीपी बनाई तब उनके चुनिन्दा साथियों में शंकर गौड़ा पाटिल का येडियुरप्पा को साथ था| शंकर गौड़ा पाटिल समाज सेवा प्रतिष्ठान का कार्य, कार्यकर्ताओं की मांग तथा बेलगाम भाजपा में सबसे पुराने कार्यकर्त्ता के लिहाज से 2019 की बेलगाम लोकसभा सीट से अगर भाजपा ने टिकट दिया तो लड़ने की पूरी तैयारी शंकर गौड़ा कर रहे हैं। फिलहाल सांसद सुरेश अगड़ी से कई नेता तथा मतदाता नाराज बताए जा रहे हैं। इस लिहाज से शंकर गौड़ा पाटिल अंगडी के बाद भाजपा के पास विकल्प है। वे वरिष्ठ होने के साथ लिंगायत समाज से भी है। इसलिए उनका पलड़ा भारी माना जा रहा है।

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